⛅ दिनांक – 07 फरवरी 2021
⛅ दिन – रविवार
⛅ विक्रम संवत – 2077
⛅ शक संवत – 1942
⛅ अयन – उत्तरायण
⛅ ऋतु – शिशिर
⛅ मास – माघ (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार – पौष)
⛅ पक्ष – कृष्ण
⛅ तिथि – एकादशी 08 फरवरी प्रातः 04:47 तक तत्पश्चात द्वादशी
⛅ नक्षत्र – ज्येष्ठा शाम 03:15 तक तत्पश्चात मूल
⛅ योग – व्याघात दोपहर 02:01 तक तत्पश्चात हर्षण
⛅ राहुकाल – शाम 05:08 से शाम 06:32 तक
⛅ सूर्योदय – 07:14
⛅ सूर्यास्त – 18:31
⛅ दिशाशूल – पश्चिम दिशा में
⛅ व्रत पर्व विवरण – षटतिला एकादशी (स्मार्त)
💥 विशेष – रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
💥 रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)
💥 रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)
💥 स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए। इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं।
🌷 षट्तिला एकादशी 🌷
➡ 07 फरवरी 2021 रविवार को प्रातः 06:27 से 08 फरवरी, सोमवार को प्रातः 04:47 तक एकादशी हैं (यानी 07 फरवरी रविवार को षटतिला एकादशी स्मार्त एवं 08 फरवरी सोमवार को षटतिला एकादशी भागवत)
💥 विशेष – 08 फरवरी, सोमवार को एकादशी का व्रत (उपवास) रखें ।
🙏🏻 इस दिन मुख्य रूप से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इस दिन तिल का उपयोग 6 कामों में करने का विधान है। ये 6 काम इस प्रकार हैं-
🌷 तिलस्नायी तिलोद्वार्ती तिलहोमी तिलोद्की।
तिलभुक् तिलदाता च षट्तिला: पापनाशना:।।
🙏🏻 अर्थात- इस दिन तिलों के जल से स्नान, तिल का उबटन, तिल से हवन, तिल मिले जल को पीने, तिल का भोजन तथा तिल का दान करने से समस्त पापों का नाश हो जाता है।
👉🏻 तिल का इन 6 कामों में करें उपयोग, होंगे ये फायदे
- तिल मिले जल से स्नान
ठंड के मौसम में त्वचा रुखी हो जाती है। तिल मिले पानी से स्नान करने से त्वचा चमकदार व कोमल हो जाती है। - तिल का उबटन
तिल का उबटन लगाने से त्वचा संबंधी रोग अपने आप ही समाप्त हो जाते हैं। - तिल मिला जल पीना
तिल मिला पानी पीने से पाचन तंत्र व्यवस्थित होता है। अनिद्रा में भी राहत मिलती है। - तिल का भोजन
ठंड के मौसम में तिल से बनी चीजें खाने से शरीर को पर्याप्त गर्मी व ऊर्जा मिलती है। - तिल का दान
तिल का दान करने से पापों का नाश होता है और भगवान विष्णु अपने भक्त पर प्रसन्न होते हैं। - तिल का हवन
तिल का हवन करने पर वायुमंडल सुगंधित होता हैं।
💥 विशेष – सूर्यास्त के बाद कोई भी तिलयुक्त पदार्थ नहीं खाना चाहिए।(मनु स्मृतिः 4.75)
🌷 षटतिला एकादशी 🌷
➡ इन 6 कामों में करें तिल का उपयोग
🙏🏻 षटतिला एकादशी व्रत में तिल का छ: रूपों में उपयोग करना उत्तम फलदाई माना जाता है। जो व्यक्ति जितने रूपों में तिल का उपयोग तथा दान करता है, उसे उतने हजार वर्ष तक स्वर्ग में स्थान प्राप्त होता है। षटतिला एकादशी पर 6 प्रकार से तिल के उपयोग तथा दान की बात कही है, वह इस प्रकार है-
🌷 तिलस्नायी तिलोद्वार्ती तिलहोमी तिलोद्की।
तिलभुक् तिलदाता च षट्तिला: पापनाशना:।।
➡ अर्थात- इस दिन तिलों के जल से स्नान, तिल का उबटन, तिल से हवन, तिल मिले जल को पीने, तिल का भोजन तथा तिल का दान करने से समस्त पापों का नाश हो जाता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार, षटतिला एकादशी के दिन हमें पद्मपुराण के ही एक अंश का श्रवण और ध्यान करना चाहिए। इस दिन काले तिल व काली गाय दान करने का विशेष महत्व है।